



![LucknowMahotsavVipkavi[1]_edited_edited.jpg](https://static.wixstatic.com/media/9893e2_7ec6c3bfe857453996485dc95d1203ff.jpg/v1/crop/x_505,y_0,w_317,h_319/fill/w_131,h_132,al_c,q_80,usm_0.66_1.00_0.01,enc_avif,quality_auto/LucknowMahotsavVipkavi%5B1%5D_edited_edited.jpg)
VIPUL LUCKNAVI "BULLET"उर्फ़ VIPKAVI
A retd. scientist and active environmentalist with sense of arts & literature
A recognized scientist , an eminent poet, an active environmentalist and much more... A unique approach towards science, culture and evolution of society
vipkavi@gmail.com ; +91 9969680093(M) ; facebook.com/vipkavi
विपुल लखनवी द्वारा लिखित "आर्त भाव" में "अग्निदेव" की आरती से उद्घ्रित कुछ पंक्तियाँ ।
ॐ अग्नेय नम: ।(सामान्य मंत्र)
ॐ जय अग्निदेवा ,
स्वमी जय अग्निदेवा ।
यज्ञ प्रधान अंग हो स्वामी ,
जग प्रकाश देवा ।।
शुचि पावक पवनाम तुम्हारे ,
तीन पुत्र धारे ।
अधिपति हो आग्नेय कोण के ,
तीर्थ पुण्य देवा ।।
दास विपुल है शरणी तेरे ,
पूर्ण यज्ञ कर दो ,
भक्ति भाव जन मन में जागे,
पाप हरो देवा ।।
रं वह्रिचैतन्याय नम:|(बीज मंत्र)
विपुल लखनवी द्वारा लिखित "आर्त भाव" में "शिव रुपों के बीज मंत्र" से उद्घ्रित |
हरा हरा महादेवा, पार्वती वल्लभ सदाशिवा
माहादेव का बीज मंत्र
ॐ बं महादेवाय नम: ।
सिद्ध मंत्र
ॐ नम: शिवाय ।
अन्य प्रचलित सिद्ध मंत्र
बम बम महदेव ।
अलख निरंजन ।
-------------------------------------
हनुमान जी का बीज मंत्र
ॐ हं हनुमन्ताये नम: ।
अन्य मंत्र
ॐ श्री हनुमंतये नम: ।
प्रचलित भक्तनुवाक्य
जय बजरंग बली ।
ॐ पवन् पुत्रायै नम: ।
शारदा तिलक मंत्र
ॐ नमो भगवते आन्जनेय महाबलाय स्वाहा ।
विपुल लखनवी द्वारा लिखित "आर्त भाव" में "अथ नवग्रह ध्यानम्-मंगल" से उद्घ्रित ।
अथ नवग्रह ध्यानम् - मंगल
रक्तमाल्याम्बरधर: शक्तिशूलगदाधर:।चतुर्भुज: रक्तरोमा वरद: स्याद् धरासुत: ।।
मंगल देव का बीज मंत्र, वैदिक मंत्र, पौरणिक मंत्र, सामान्य मंत्र तथा महादशा, जपसंख्या, उपासना की विधि दी गयी है।
विपुल लखनवी द्वारा लिखित " आर्त भाव" में "चित्र्गुप्त महाराज" की आरती से उद्घ्रित कुछ पंक्तियाँ ।
ॐ श्री चित्रगुप्ताय नम: ।
ॐ जय चित्रगुप्त देवा ,
स्वामी जय चित्रगुप्त देव ।
जय जय विधि मानस् पुत्र ,
मंगल सब सेवा ।।
वर मुद्रा प्रभु आरुढ आसन ,
कमल पुष्प साजे ।
क्रीट मुकुट धरि कानन कुण्डल ,
कायस्थ कुल सेवा ।।
दास विपुल की विनती स्वमी ,
जगत करो कल्याण ।
तेरो चित्र मन: पता वासे ,
ज्ञान ध्यान सेवा ।।
विपुल लखनवी द्वारा लिखित " आर्त भाव" में आरती से उद्घ्रित कुछ पंक्तियाँ ।
ॐ छिन्नमस्तायै नम: ।
ॐ जय माता छिन्नमस्ता ,
मैया जय माता छिन्नमस्ता ।
जगत अधिपति कबन्ध ,
शक्ति छिन्नमस्ता ।।
जब शक्ति की मार अधिक हो ,
आगम कम होता ।
तब प्रकटे छिन्नमस्ता माता ,
भक्ति शक्ति हस्ता ।।
दास विपुल तेरे द्वारे मैय्या ,
भिक्षा भक्ति मांग ।
जो जन तेरी आरती गावे ,
दो सब छिन्नमस्ता।।
विपुल लखनवी द्वारा लिखित "आर्त भाव" में "त्रिमुखि दत्त भगवाना" की आरती से उद्घ्रित कुछ पंक्तियाँ ।
ॐ नम: श्री दत्तात्रेयाय|
हे त्रिमुखि दत्त भगवाना ,
सहज बुद्धि दो भाग्य विधाना ।
तुम परमेश्वर सद् गुरु जग के ,
ज्ञान ध्यान विज्ञान निधाना ।।
ब्रह्मा विष्णु शिव के रूपा ,
हो त्रिलोकी जगत सुरभूपा ।
तीनों गुण तुमसे हैं चलते ,
पर हो गुणातीत भगवाना ।।
दास विपुल कर जोर पुकारे ,
सत्य बुद्धि दो ये ही गुहारे ।
द्वार तिहारे ठाढे प्रभुवर,
अब तो दरशन दो भगवाना ।।
विपुल लखनवी द्वारा लिखित "आर्त भाव" में आरती से उद्घ्रित कुछ पंक्तियाँ ।
ॐ गं गणपतयै नम:।(बीज मंत्र)
जय गणेश गिरिजा के नंदन,
नमन करे जग शत शत वंदन।
ओंकारेश्वर तुम कहलाते ,
भाग्य जनों का तुम्ही बनाते।
दास् विपुल हुम हैं अज्ञानी ,
दया करो करते आराधन ।।
ॐ नम: श्री गणेशाय।(सामान्य मंत्र)







