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ऎ शहरॆ लखनऊ

ऎ शहरॆ लखनऊ तुझॆ लाखों करुँ सलाम|

तू बॆमिसाल है जहॉ में, है अवध की शान ||

मैं कैसे खेलूँ होली

मैं कैसे खेलूँ होली ,

मैं काहे खेलूं होली |

मॆरॆ गीतॊं कि शहज़ादी 

तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा बात ये बन भी जाएगी ,

कातिल तुम नहीं होगे हमारी जाँ भी जाएगी |

हे परम वत्सला मातृभूमि! तुझको शत कोटि बार प्रणाम ।

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